आज कल सियासत एसटी एससी रिजर्वेशन के मुद्दे पर गरमा रही है ,हर एक तबका इस पर अपने विचार रखता है लेकिन सच में कोई बाबा बी आर अम्बेडकर के सपने और विचार को लेकर आगे बढ़ रहा है ?
अगर मेरी व्यक्तिगत राय कोई पूछे तो कोई नहीं .ना मायावती ओर ना चंद्रशेखर रावण ओर ना ही राम विलास पासवान जो अपने आपको दलितों के ठेकेदार होने का दम भरते हैं
अगर ये सच में ये दलित लोगों के शुभ चिंतक होते तो इनके पास एक योजना ओर उसको क्रियान्वित और उसके रिजल्ट को एनालिसिस करने का एक भविष्य का खाका होता ,ये दलित लोगों के जो ठेकेदार बनते हैं ये सिर्फ आरएसएस ओर सामान्य वर्ग के लोगों का भय ओर दिखाते ओर समाज को दो वर्गों में बांटकर जिंदा रखते है ,इनको अपनी राजनीति चलाने के लिए समाज के दोनों वर्गों में इर्ष्या की आग बराबर जला कर रखनी है
चलो हम कुछ बातों पर एनालिसिस करते हैं ,
जब अम्बेडकर जी ने भारत का संिधान लिखा तो दलित समाज को मुख्य धारा में लाने के लिए 10 साल के लिए आरक्षण एससी और एसटी वर्ग को दिया ओर कहा की इसकी 10 साल बाद विवेचना मतलब एनालिसिस हो
क्या सही मायने में ऐसे हुआ बिल्कुल नहीं हर 10 साल बाद इसकी अवधि बड़ा दी जाती है संसद में बिना किसी योजना ओर परिणाम के ,बाबा साहब ने ये तो नहीं कहा था
बाबा साहब की सोच थी कि हर 10 साल बाद एससी और एसटी समाज के आरक्षण की विवेचना हो कि कितने एससी और एसटी वर्ग के लोग और उनके बच्चों का बौद्धिक और आर्थिक विकास हुआ है उसका एक डॉक्यूमेंटेशन परिणाम के सहित हो ,
ऐसे दलित लोग जो बौद्धिक और आर्थिक दृष्टि से मजबूत हो गए हैं उन्हें सामान्य वर्ग और मुख्य धारा से जोड़ा जाए
जो बचे हुए दलित वर्ग के लोग जिनका विकास नहीं हुआ है उन्हें अगले 10 साल के लिए फिर रखा जाए आरक्षण वर्ग में ओर पता लगाया जाए वो कहां पीछे रह गए
कहीं वो उस सामान्य दलित वर्ग जो दलित समाज से बाहर या ऊपर आ चुके हैं वो उनका विकास तो नहीं रोक रहे हैं
अगर यही दलित विकास की प्रक्रिया पिछले 70 सालों से अपनाई गई होती,अगर हर 10 साल में 10% दलित वर्ग का विकास होता तो मोटेतौर पर अभी तक 70% से ज्यादा दलित सामान्य वर्ग के साथ मिलकर देश का विकास कर रहा होता ,ओर शेष बचे 30% वास्तविक दलित इसके फायदा उठा रहे होते
आज जो दबा कुचला दलित आरक्षण का लाभ नहीं ले पा रहा है क्योंकि दलित इंजीनियर ओर दलित प्रोफेसर्स , दलित आईएएस अधिकारी , दलित डॉक्टर ओर अन्य विकसित आर्थिक रूप से मजबूत दलित के बच्चे जो विकसित हो चुके हैं वो ही आरक्षण का लाभ ले रहे
सच्चा, दबा कुचला दलित है वो वहीं का वहीं रह गया है उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है
क्या दलित समाज के राजनेता ,आईएएस ओर बुद्ध जीवी वर्ग को ये सच पता नहीं है बिल्कुल पता है लेकिन उनको अपने बच्चो का भविष्य अपने दलित समाज से पहले देखना है
मुझे मालूम है दलित समाज एक सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रहा उसको सिर्फ यही कारण है कि आरक्षण तो दिया लेकिन उसको क्रियान्वित करने का एक खाका नहीं जिसे उसका परिणाम देखा जाए
अगर सच में दलित समाज को सामान्य वर्ग के साथ जोड़ना है तो हर 10 साल बाद परिणाम की विवेचना हो ओर विकसित हो चुके दलित वर्ग को सामान्य के साथ जोड़ा जाए
इससे दलित समाज का भी विकास होगा ओर समाज का दूसरा वर्ग साथ चलेगा बिना इर्ष्या के
में इस आर्टिकल को दूसरा भाग अगले ब्लॉग में लिखूंगा जिसमे सामान्य वर्ग की बात भी रखूंगा
में शैलेन्द्र शुक्ला हलदौन एक विचारक हूं किसी दलित ओर सामन्या वर्ग का तरफदार नहीं
अगर आपको लगता है विचार सही है तो प्रोत्साहित करे अन्यथा आलोचना करे सबका स्वागत है
शैलेन्द्र शुक्ला (हाल्दौन)
सबका साथ सबका विकास
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मैं आपके विचार से पूर्ण रूप से सहमत हूं, तथा मैं आपकी इस विचारधारा का स्वागत करता हूं।
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धन्यवाद नमन मिश्रा जी आपके समर्थन के लिए ,आपका इस मुहिम में स्वागत है
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Bht sahi shuklaji..keep it up
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Thanks for support
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👍
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सभी सरकारों ने आरक्षण को एक मुफ्त खोरी की तरह प्रस्तुत किया है किसी ने भी इसका एनालिसिस नहीं किया कि क्या वास्तव में इसका लाभ उन लोगों को मिल रहा है जो वास्तव में पिछड़े हुए हैं लोग लोगों को मुफत्खोरी की लत लग गई है । मैं आरक्षण के खिलाफ हू। एक तो यह उन लोगों को नहीं मिल रहा जिनको वास्तव में इसकी जरूरत है दूसरा यह लोगों के स्वाभिमान के भी खिलाफ है।
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Thanks for support
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Behtreen
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Thanks
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Wah wah
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