जिंदगी की पतंग की डोर तेरे हाथों में देकर
में निकल पड़ा हूं आसमानी सफर पर
में अगर कहीं गिरू तो फौरन झटक देना मुझे
जो चाहूं ओर ऊंचा उड़ना गर्दू में
जितनी जरूरत हो उतनी ही ढील देना मुझे
जब आंधी आए तो छोड़ ना देना मुझे
हाथों में तेरे साकी डोर है मेरी
जरा संभाल के उतार लेना मुझे
शैलेन्द्र शुक्ला “हल्दौना”