चाहते हसरतें तमन्ना ओर दम भर लेती है
जब वो कहती है तुम मुझे बिल्कुल पसंद नहीं फिर धीरे से एक अलग अंदाज में ये कहना
आज फिर देर कर दी तुमने मिलने आने में
इसी कशमकश में जिंदगी उफान लेती है
जब में डूबने लगता हूं वो संभाल लेती है
शैलेन्द्र शुक्लाा “हलदौना “