कब तक धर्म के नाम पर ये खेल होते रहेंगे
अपनी खुराक के लिए मासूम कत्ल होते रहेंगे
खुदगर्जी के नाम पर खुदा इस्तेमाल होते रहेंगे
अपनी हवस के लिए तीन तलाक कहते रहेंगे
जन्नत की हूर के लिए धरती पर जुल्म होते रहेंगे
कयामत के दिन के लिए कयामत करते रहेंगे
शैलेंद्र शुक्ला “हलदौना”