लोकतंत्र की तो नेताओं ने कमर ही तोड़ डाली
जहां करते थे अवैध वसूली गुंडे और मब्बाली
अब सरकार ने ये जिम्मेदारी पुलिस को दे डाली
लोकतंत्र की दुहाई पर अपनी छाती पीट डाली
उन्हीं लोगों ने अब संविधान की किताब बेच डाली
चुनाव में जिन नेताओं ने दहलीज की धूल ले डाली
उन नेताओं के दर्शन के लिए हमने खाक छान डाली
जनता ही जनार्दन है ये कहावत खूब है बना डाली
जनता असल में नेताओं ने मूकदर्शक बना डाली
कवि शैलेन्द्र शुक्ला” हलदौना”